संवाददाता: कमलेश यादव
पीपलखूंट, जिले में शिक्षा व्यवस्था की हालत दिन-ब-दिन चिंताजनक होती जा रही है। जिले के कई प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय जर्जर हालत में हैं, जहां बच्चे हर दिन जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। दीवारों में दरारें, छत से टपकता पानी, और खस्ताहाल फर्श — इन सबके बीच न तो बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित हो पा रही है और न ही शिक्षा का समुचित माहौल बन पा रहा है। क्षेत्र के कई स्कूल बेहद जर्जर हालत में हैं, जिनमें पढ़ाई जारी रहना बच्चों की जान के लिए खतरा बनता जा रहा है। हाल ही में पीपलखूंट क्षेत्र में एक बड़ा हादसा हुआ, जहाँ एक जर्जर भवन गिर गया। इस दर्दनाक दुर्घटना में तीन मासूम बच्चों की मौत हो गई। ग्रामीण इलाकों के कई स्कूल भवन तो इतने जर्जर हो चुके हैं कि कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है। स्थानीय लोगों और अभिभावकों ने कई बार प्रशासन को इसकी सूचना दी, लेकिन अभी तक न तो कोई निरीक्षण हुआ और न ही कोई मरम्मत कार्य शुरू किया गया है।

प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में
स्थानीय शिक्षक और पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि कई बार मांग करने के बावजूद शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। बच्चों की पढ़ाई बरसात के दिनों में और भी प्रभावित होती है, क्योंकि टपकती छत और कीचड़ से भरे आंगन में पढ़ाई लगभग नामुमकिन हो जाती है।
न्याय की मांग कर रहे ग्रामीण
ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द ही इन स्कूलों की मरम्मत नहीं करवाई गई, तो वे धरना-प्रदर्शन और जन आंदोलन की राह अपनाएंगे। उनका कहना है कि बच्चों का भविष्य दांव पर नहीं लगाया जा सकता।
क्या प्रशासन अब जागेगा?
अब देखना होगा कि शिक्षा और बच्चों की सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दे पर प्रशासन कब तक मौन रहता है। जरूरत है कि संबंधित अधिकारी तुरंत संज्ञान लें और जर्जर स्कूल भवनों की मरम्मत कार्य को प्राथमिकता से शुरू करें।